पिता राजू प्रसाद कहते हैं बेटे की सफलता की खबर सुनते ही जीवन के सारे कष्ट भूल गया। चने बेचकर बेटे को पढ़ाया। मेरे पास मकान छोड़ कुछ नहीं है।
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/ खुद नहीं पढ़-लिख सके, ठेले पर चना-भूंजा बेच बेटे को बनाया आइआइटीयन
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