भजन गायक अनूप कुमार जलोटा जी अपनी उम्र से भी आधी अपनी महिला मित्र के साथ Bigg Boss में शामिल हुये .... सोशल मिडीया पर जोक पर जोक पेले जाने लगे.... जवान सिंगल लौंडो को कोसा जाने लगा कि देखो बे ... कुछ सीख लो इनसे... अबे अब तो इनके पास भी GF आ गयी... तुम कब तक सिंगल मरोगे?... साथ ही साथ बुजूर्ग फेसबूकीयों में भी जोश भरा जाने लगा।
खैर, यह तो हँसी मजाक की बात है, होना ही चाहिए।
लेकिन कुछ चमन एक कदम आगे बढकर बताने लगे कि देखो भैया यह तो बड़ा हिन्दूवादी बना फिरता था, भगवान के भजन गाता था, और इसकी यह हरकत???
छी छी छी....
तो मियाँ चमनदास जी... बात यह है कि जलोटा जी भगवान को कितना मानते कितना नहीं मानते मुद्दा यह नहीं है..... मुद्दा यह है कि वह भजन गायक भगवान के प्रति भक्ति की वजह से नहीं बल्कि पैसों के लिये बने... आजीविका के लिये बने.... नाम और शोहरत कमाने के लिये बने ....
अगर यही पैसा, नाम और शोहरत उन्हें फिल्मों में बलात्कारी विलेन का रोल करने से मिलती तो वह भी कर लेते, नेता बनने से मिलती तो भी स्वीकार था। लेकिन यह उनके लिये सुखद संयोग था की भगवान का नाम जपने से उन्हें यह सब प्राप्त हो गया। जो कि हर किसी को नसीब नहीं। लेकिन इससे यह कतई नहीं साबित होता कि वह कोई हिन्दूत्व के झंडाबदार थे....
जिस संजय दत्त को हम बहुत बड़ा फायटर समझते हैं उसकी किसी भाई के एक फोन आने भर से फट कर हाथ में आ जाती है.... वह फोन पर गिड़गिड़ाता है....
दिक्कत तो हमारे समाज की है कि हर किसी के काम को ही उसका चरित्र मान लेते हैं। कई धार्मिक सिरियल में किरदार निभाने वाले कलाकारों को पार्टीयों ने टिकट दे दिये, क्यूँ कि प्रजा उनमें अपने भगवान की छवि देखती थी। कई कलाकार कहीं जाते तो लोग उनके पैर भी छुते थे।
तो यह दिक्कत आप की है, उनकी नहीं। बल्कि कभी कभी तो वह इस अत्याधिक सम्मान की वजह से आम जीवन भी खुलकर नहीं जी पाते थे। रामायण सिरियल के राम जी का किरदार निभाने वाले अरूण गोविल जी को छिप कर सिगरेट पीनी पड़ती थी।
तो भैये, जलोटा जी भजन गाते थे यह सही है, लेकिन अगर पहले ही कव्वाली गाने के लिये पैसे मिलते तो वह उसमें अपना कैरियर बना लेते।
और रही बात उम्र की तो बाबू यह उम्र, जात पात, समाज, धर्म, राष्ट्रवाद, कौन क्या बोलेगा, फलाना क्या सोचेगा यह सारी मानसिकता सिर्फ और सिर्फ हम मध्यम तथा गरीब वर्ग के लोग सोचते हैं। उन बड़े लोगों को इससे घंटा फर्क नहीं पड़ता।
वह लोग सिर्फ एक बात जानते हैं कि एक ही जिंदगी मिली है, जितनी ऐश मौज करना है कर लो, कोई पिछला और अगला जन्म नहीं होना है, जो है आज है। दुसरी बात इन सारी ऐश मौज के लिये पैसा कहाँ से आये वह देखना है, फिर चाहे वह भजन गा कर आये या रैप सॉन्ग।
जलोटा जी जान गये कि भैया 15-20 साल बचे हैं जिंदगी के। ऊपर कुछ लेकर तो जाना नहीं है। अतः इस जमा पूँजी की बदौलत कुछ दिन और रंगीनीयत आ जाये तो क्या गलत है? और बिग बॉस जैसे प्रसिद्ध सिरियल में आने के लिये मोटा पैकेज भी तो है?..
इसलिए हे इस देश के आम नागरिकों....
यह समाज की चिंता, दुनियादारी, लोक लिहाज सब आपको मुबारक ......
जलोटा जी को आप आदर्श मान बैठे यह आपकी समस्या....
लेकिन जलोटा जी बहुत सारे पैसे.... शोहरत .... और सेक्सी सी GF के साथ बहुत खुश हैं......
आप भी उनपर जोक्स बना कर खुश रहो.... यह सब हैं ही सार्वजनिक प्रॉपर्टी....
अपनी जिंदगी को ज्यादा नैतिकता में मत फंसाओ....
बिना किसी का नुकसान किये अगर किसी भी प्रकार की खुशी मिलती है उसे मत गँवाओ
जो है इसी जीवन में है..... अगल पिछला सब झुठ है.... हर दिन आखरी समझ कर एंजॉय करो।
और हाँ हर किसी को इतना ज्यादा आदर्श मत बनाओ ...
नहीं तो एक न एक रोज आपका ऐसे ही कटेगा ...
जिसके लिये जलोटा जी जिम्मेदार नहीं है।
खैर, यह तो हँसी मजाक की बात है, होना ही चाहिए।
लेकिन कुछ चमन एक कदम आगे बढकर बताने लगे कि देखो भैया यह तो बड़ा हिन्दूवादी बना फिरता था, भगवान के भजन गाता था, और इसकी यह हरकत???
छी छी छी....
तो मियाँ चमनदास जी... बात यह है कि जलोटा जी भगवान को कितना मानते कितना नहीं मानते मुद्दा यह नहीं है..... मुद्दा यह है कि वह भजन गायक भगवान के प्रति भक्ति की वजह से नहीं बल्कि पैसों के लिये बने... आजीविका के लिये बने.... नाम और शोहरत कमाने के लिये बने ....
अगर यही पैसा, नाम और शोहरत उन्हें फिल्मों में बलात्कारी विलेन का रोल करने से मिलती तो वह भी कर लेते, नेता बनने से मिलती तो भी स्वीकार था। लेकिन यह उनके लिये सुखद संयोग था की भगवान का नाम जपने से उन्हें यह सब प्राप्त हो गया। जो कि हर किसी को नसीब नहीं। लेकिन इससे यह कतई नहीं साबित होता कि वह कोई हिन्दूत्व के झंडाबदार थे....
जिस संजय दत्त को हम बहुत बड़ा फायटर समझते हैं उसकी किसी भाई के एक फोन आने भर से फट कर हाथ में आ जाती है.... वह फोन पर गिड़गिड़ाता है....
दिक्कत तो हमारे समाज की है कि हर किसी के काम को ही उसका चरित्र मान लेते हैं। कई धार्मिक सिरियल में किरदार निभाने वाले कलाकारों को पार्टीयों ने टिकट दे दिये, क्यूँ कि प्रजा उनमें अपने भगवान की छवि देखती थी। कई कलाकार कहीं जाते तो लोग उनके पैर भी छुते थे।
तो यह दिक्कत आप की है, उनकी नहीं। बल्कि कभी कभी तो वह इस अत्याधिक सम्मान की वजह से आम जीवन भी खुलकर नहीं जी पाते थे। रामायण सिरियल के राम जी का किरदार निभाने वाले अरूण गोविल जी को छिप कर सिगरेट पीनी पड़ती थी।
तो भैये, जलोटा जी भजन गाते थे यह सही है, लेकिन अगर पहले ही कव्वाली गाने के लिये पैसे मिलते तो वह उसमें अपना कैरियर बना लेते।
और रही बात उम्र की तो बाबू यह उम्र, जात पात, समाज, धर्म, राष्ट्रवाद, कौन क्या बोलेगा, फलाना क्या सोचेगा यह सारी मानसिकता सिर्फ और सिर्फ हम मध्यम तथा गरीब वर्ग के लोग सोचते हैं। उन बड़े लोगों को इससे घंटा फर्क नहीं पड़ता।
वह लोग सिर्फ एक बात जानते हैं कि एक ही जिंदगी मिली है, जितनी ऐश मौज करना है कर लो, कोई पिछला और अगला जन्म नहीं होना है, जो है आज है। दुसरी बात इन सारी ऐश मौज के लिये पैसा कहाँ से आये वह देखना है, फिर चाहे वह भजन गा कर आये या रैप सॉन्ग।
जलोटा जी जान गये कि भैया 15-20 साल बचे हैं जिंदगी के। ऊपर कुछ लेकर तो जाना नहीं है। अतः इस जमा पूँजी की बदौलत कुछ दिन और रंगीनीयत आ जाये तो क्या गलत है? और बिग बॉस जैसे प्रसिद्ध सिरियल में आने के लिये मोटा पैकेज भी तो है?..
इसलिए हे इस देश के आम नागरिकों....
यह समाज की चिंता, दुनियादारी, लोक लिहाज सब आपको मुबारक ......
जलोटा जी को आप आदर्श मान बैठे यह आपकी समस्या....
लेकिन जलोटा जी बहुत सारे पैसे.... शोहरत .... और सेक्सी सी GF के साथ बहुत खुश हैं......
आप भी उनपर जोक्स बना कर खुश रहो.... यह सब हैं ही सार्वजनिक प्रॉपर्टी....
अपनी जिंदगी को ज्यादा नैतिकता में मत फंसाओ....
बिना किसी का नुकसान किये अगर किसी भी प्रकार की खुशी मिलती है उसे मत गँवाओ
जो है इसी जीवन में है..... अगल पिछला सब झुठ है.... हर दिन आखरी समझ कर एंजॉय करो।
और हाँ हर किसी को इतना ज्यादा आदर्श मत बनाओ ...
नहीं तो एक न एक रोज आपका ऐसे ही कटेगा ...
जिसके लिये जलोटा जी जिम्मेदार नहीं है।
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