latest Post

मेहन्दीपुर बालाजी धाम

श्री मेहन्दीपुर धाम की जानकारी 
श्री बालाजी महाराज के मंदिर की दिनचर्या प्रतिदिन सुबह पांच बजे मुख्यद्वार खुलने के साथ शुरू होती है। मंदिर की धुलाई-सफाई और फिर श्री बाला जी महाराज की पूजा-अर्चना होती है । सबसे पहले श्री बालाजी महाराज का गंगाजल से अभिषेक होता है। अभिषेक वैदिक रीति से मंत्रोचारण के साथ होता है। पांच पुजारी इसमें लगते हैं। मंदिर प्रांगण में पूरे दिन करीब 25 ब्राह्मणों की सेवा रहती है, लेकिन श्री बालाजी महाराज के श्रृंगार में मात्र पुजारी ही शामिल होते हैं। गंगाजल से स्नान कराने के बाद चोले का नम्बर आता है। चोला श्री बालाजी महाराज के श्रृंगार का मुख्य हिस्सा है। यह सप्ताह में तीन बार सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को चढ़ाया जाता है। अभिषेक के बाद चमेली का तेल श्री बालाजी के पूरे शरीर पर लगाया जाता है। इसके बाद सिंदूर होता है जो आम दुकानों पर नहीं मिलता। सिंदूर को ही सामान्य भाषा में चोला कहते हैं। इसके बाद चांदी के वर्को से बालाजी महाराज जी को सजाया जाता है। चांदी के वर्क के बाद सोने के वर्क लगाए जाते हैं। इसके बाद चंदन, केसर,केवड़ा और इत्र के मिश्रण से तैयार तिलक लगाया जाता है। फिर बारी आती है, आभूषण और गुलाब की माला आदि की। पूरे श्रृंगार में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है। इसके बाद भोग और फिर सुबह की आरती। श्रृंगार के समय मंदिर के पट बंद रहते हैं। लेकिन आरती का समय होते-होते मंदिर के बाहर भक्तों का जनसूमह एकत्रित हो जाता है। जैसे ही आरती शुरू होती है। श्री बालाजी महाराज के जयकारो, घंटों और घड़ियालों की आवाजों से पूरी मेंहदीपुर घाटी गुंज उठती है...
आरती लगभग 40 मिनट तक चलती है। आरती सम्पन्न होते ही भक्त और भगवान का मिलन प्रारम्भ हो जाता है। जो रात्रि लगभग नौ बजे तक अवरत चलता रहता है। केवल दोपहर एवं रात्री भोग के समय आधा-आधा घंटे के लिए श्री बालाजी महाराज के पट बंद होते हैं। वह भी पर्दे डालकर। सुबह आरती के बाद पहले बालाजी का बाल भोग लगता है जिसमें बेसन की बूंदी होती है। फिर राज-भोग का भोग लगता है। श्री बाला जी महाराज जी का भोग मंदिर में स्थित बालाजी रसोई में ही तैयार किया जाता है। इसमें चूरमा मेवा, मिष्ठान आदि होता है। भोग बाद में दर्शनार्थी भक्तों में वितरित किया जाता है। भक्तों को दिया जाने वाला भोग डिब्बो में पैक होता है। जबकि अभिषेक का गंगाजल भक्तों को चरणामृत के रूप में वितरित किया जाता है। दोपहर के समय श्री बालाजी महाराज का विशेष भोग लगाया जाता है। इसे दोपहर का भोजन भी कहा जा सकता है।
बालाजी के भोग से पहले उनके प्रभु श्री राम और माता सीता जी अर्थात मुख्य मंदिर के सामने सड़क पार बने श्री सीताराम मंदिर में भोग लगता है, तत्पश्चात बालाजी का भोग लगता है। बालाजी के साथ श्री गणेश, श्री प्रेतराज सरकार, भैरव जी आदि का भी भोग लगता है। इस भोग के दौरान आधा घंटे के लिए दर्शन बंद रहते हैं। शाम पांच बजे श्री बालाजी का पुन: अभिषेक होता है। इसमें लगभग एक घंटे का समय लगता है। तत्पश्चात शाम की आरती होती है । सबसे अंत में शयन भोग लगता है। यह चौथा भोग होता है। दूध,मेवा का यह भोग भी बाद में प्रसाद के रूप में दर्शानार्थी भक्तों को बांटा जाता है। घाटा मेंहदीपुर वाले बाबा के मंदिर में उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ का जहां तक सवाल है। अब यह बारहमासी है। अर्थात प्रतिदिन यहां भक्तों की भीड़ रहती है। देश के दूर-दूर क्षेत्रों से यहां दर्शानार्थी भक्त आते हैं। लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष भीड़ होती है। आस-पास के क्षेत्रों में श्री बालाजी महाराज जी के दर्शन आसपास के लोगों के लिए ठीक वैसी ही दिनचर्या का अंग है जैसा कि सुबह-शाम का भोजन। डेढ़ से दो घंटे तक लाईन में लगने के बाद भक्त और भगवान का मिलन आम बात है, मगर इस मिलन के बाद दर्शनार्थी भक्तों के चेहरों पर जो संतोष भाव होता है उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
जय सियाराम जी
जय श्री बालाजी

About Rahul sahu

Rahul sahu
Recommended Posts × +

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

विशिष्ट पोस्ट

Bundelimedia.com

 Bundelimedia.com